दुनिया भर के सभी कल्चर में समलैंगिकता मौजूद रही है

भारत की बात करें तो यहां भी सदियों से समलैंगिक संबंधों का जिक्र मिलता है

खजुराहों के मंदिरों में बनी छवियों में भी समलैंगिकता की छाप नजर आती है

ऐसा कहा जाता है कि मुगल बादशाह बाबर भी समलैंगिक था

मध्यकाल में सूफी कविताओं में भी समलैंगिक संबंधों की छाप देखने को मिलती है

भारत में समलैंगिकता पर पाबंदी 1861 में लगी थी

ब्रिटिश शासन के दौरान ये आदेश लगाया गया था और धारा 377 के तहत कानून बनाया गया था

कहा जाता है कि किनवाब आसफ़ुद्दौला के समलैंगिक होने की वजह से उसकी रानियां कुंवारी रही थीं

कई पांडुलुपियों में ये स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था