हिंदू बनकर मरना क्यों नहीं चाहते थे अंबेडकर? ये तो हम सब जानते हैं कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म को अपनाया था बता दें कि अंबेडकर ने 1935 में हिंदू धर्म को छोड़ने का ऐलान किया था दरअसल, उनका मानना था कि जाति व्यवस्था के कारण हिंदू धर्म में व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक करुणा, समानता और स्वतंत्रता की कमी है ऐसे में 14 अक्टूबर 1956 को अंबेडकर ने नागपुर में हिन्दू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया नागपुर में धर्म परिवर्तन के वक्त डॉ भीमराव अंबेडकर ने कहा था मैं हिन्दू के रूप में पैदा जरूर हुआ हूं, लेकिन हिन्दू के रूप में मरूंगा नहीं, यह तो कम से कम मेरे वश में है अंबेडकर ने बौद्ध धर्म को चुना क्योंकि उनका मानना था कि यह धर्म प्रज्ञा और करुणा प्रदान करता है उनके इस कदम को आज भी धर्म परिवर्तन की सबसे बड़ी घटना के तौर पर जाना जाता है