कैसे पड़े भारत में संसद सत्रों के नाम?

भारत में संसद सत्रों के नाम ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के आधार पर रखे गए हैं

यह सत्र आमतौर पर फरवरी से मई तक चलता है और इसमें वार्षिक बजट पेश किया जाता है

यह सत्र जुलाई से सितंबर तक चलता है और इसमें विभिन्न विधायी कार्य किए जाते हैं

यह सत्र नवंबर से दिसंबर तक चलता है और इसमें महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा होती है

यह सत्र 1946 से 1950 तक चला था, जिसमें भारतीय संविधान का निर्माण हुआ।

यह सत्र विशेष परिस्थितियों में बुलाया जाता है, जैसे आपातकाल या महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा के लिए

यह सत्र तब बुलाया जाता है जब दोनों सदनों के बीच किसी विधेयक पर मतभेद हो

यह सत्र विभिन्न संसदीय समितियों द्वारा आयोजित किया जाता है, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर गहन चर्चा होती है

यह सत्र संसद के नियमित सत्रों के दौरान होता है, जिसमें सांसद सरकार से प्रश्न पूछते हैं.