प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए क्यों मारे जाते थे खरगोश?

Published by: एबीपी लाइव
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प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए खरगोशों का उपयोग 20वीं सदी के शुरुआती दशकों में किया जाता था

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इस प्रक्रिया को रैबिट टेस्ट कहा जाता था

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इसमें महिला के मूत्र को मादा खरगोश में इंजेक्ट किया जाता था

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यदि महिला गर्भवती होती, तो उसके मूत्र में मौजूद ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (hCG) हार्मोन खरगोश की अंडाशय में बदलाव लाता

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इसके बाद खरगोश को मारकर उसकी अंडाशय की जांच की जाती थी

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यदि अंडाशय में बदलाव होते, तो महिला को गर्भवती माना जाता था

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यह तरीका 1920 और 1930 के दशक में प्रचलित था

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हालांकि, यह प्रक्रिया क्रूर और अव्यवहारिक थी

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1960 के दशक में आधुनिक और मानवीय प्रेग्नेंसी टेस्ट किट्स के आने के बाद इस विधि का उपयोग बंद हो गया

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