रतन टाटा ने कैसे लिया था अपमान का बदला? ये बात साल 90 के दशक की है जब टाटा मोटर्स ने अपनी पहली पैसेंजर कार 'इंडिका' लॉन्च की थी हालांकि यह कार बाजार में सफल नहीं रही कंपनी को घाटा होने लगा और सहयोगियों ने इसे बेचने की सलाह दी इसके लिए रतन टाटा अमेरिका गए और फोर्ड के मालिक बिल फोर्ड से मिलकर कारोबार बेचने की बात की थी लेकिन फोर्ड के मालिक ने रतन टाटा को अपने शब्दों से काफी अपमानित किया इस अपमान से आहत रतन टाटा ने सौदा रद्द कर दिया और भारत लौट आए रतन टाटा ने अपना पूरा ध्यान कंपनी के कार डिवीजन को बुलंदियों पर पहुंचाने में लगा दिया फोर्ड से हुई मुलाकात के करीब 9 साल बाद यानी 2008 मेंल स्थिति ऐसी बनी की फोर्ड कंपनी बिकने की कगार पर पहुंच गई थी फोर्ड की सब्सिडियरी कंपनी जगुआर और लैंड रोवर साल 2008 की मंदी के बाद दिवालिया होने के कगार पर थी ऐसे में रतन टाटा ने अमेरिकी कंपनी फोर्ड से अपमान का बदला लेते हुए इन दोनों कंपनियों को खरीद लिया