अकाल तख्त पर कौन बैठ सकता है?

Published by: एबीपी लाइव
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अकाल तख्त सिखों में सबसे शक्तिशाली और ताकतवर संस्था है

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यह अमृतसर के गोल्डन टेम्पल के साथ स्थित है

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अकाल तख्त का मतलब होता है परमात्मा का सिंहासन

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सिखों के छठे गुरु श्री हरगोबिंद साहब जी ने इस तख्त की स्थापना की थी

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यह स्थापना साल 1609 में हुई थी

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यह न्याय और खलासा के अधिकारों की रक्षा करने का सबसे पवित्र सिंहासन है

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अगर बात करें कि इस तख्त पर कौन बैठ सकता है

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जानकारी के अनुसार सबसे पहले इस तख्त गुरु हरगोबिंद साहब बैठे थे

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SGPA के 160 सदस्य एग्जीक्यूटिव कमेटी के 15 सदस्य इस तख्त पर बैठने के लिए जत्थेदार का चुनाव करते हैं

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