हर साल लाखों की संख्या में मुसलमान सऊदी अरब के मक्का शहर में हज करने पहुंचते हैं.



हज यात्रा में पूरे पांच दिन लगते हैं और



इस दौरान मुसलमानों को कई नियम फॉलो करने होते हैं.



हज यात्री पहले जेद्दा शहर जाते हैं, फिर यहां से वे मक्का जाते हैं.



यहीं से हज का अधिकारिक प्रोसेस शुरू होता है, इस जगह को मीकात कहते हैं.



हज पर जाने वाले ज्यादातर लोग उमरा करते हैं जो एक धार्मिक प्रक्रिया है.



उमरा साल में कभी भी किया जा सकता है.



हज यात्रा हर साल अरबी महीने जिलहिज की आठ तारीख से शुरू होती है.



इसी दिन हाजी मक्का से तकरीबन 12 किलोमीटर दूर मीना शहर जाते हैं.



हज के पहले दिन यानी जिलहिज महीने की आठ तारीख की रात हाजी मीना में गुजारते हैं.



इसके बाद 9 तारीख को अराफात में पहुंचते हैं.



हज यात्रा के दूसरे दिन अराफात में हाजी अल्लाह को याद करते हैं.



दुआएं मांगते है और इसी दिन हाजी मुजदलफा शहर जाते हैं.



हज यात्रा के तीसरे दिन यानी 10 तारीख की सुबह फिर हाजी मीना शहर लौटते हैं.



जहां हाजी खास जगह पर जाकर सांकेतिक तौर पर शैतान को पत्थर मारते हैं.



इसके बाद हाजी एक बकरे या भेड़ की कुर्बानी देते हैं और



मर्द अपना सिर मुंडवाते हैं तो महिलाएं अपने थोड़े बाल कटवाती हैं.



इसके बाद हाजी मक्का वापस लौटते हैं, जहां वह काबे के सात चक्कर लगाते हैं.



तवाफ के बाद हज यात्री मीना लौटते हैं और यहां दो दिन गुजारते हैं.