ब्रह्मांडपुराण के अनुसार हनुमान जी के 5 सगे भाई थे. केसरी के पुत्र में मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान, धृतिमान और हनुमान जी सबसे बड़े पुत्र थे.

वाल्मीकि जी से पहले हनुमानजी ने एक शिला पर अपने नाखूनों से रामायण लिखी थी. जो 'हनुमद रामायण' के नाम से प्रसिद्ध है.

सूर्य को निगल गए मारुति पर जब इंद्र ने वज्र से प्रहार किया तो उनकी ठुड्‌डी (हनु) टूट गई, तब से उनका नाम हनुमान हो गया.

सूर्य देव के अलावा हनुमान जी ने मातंग ऋषि और नारद जी से भी शिक्षा ग्रहण की. सूर्य, नारद और मातंग ऋषि उनके गुरु थे.

हनुमान जी पर ब्रह्मास्त्र भी बेअसर रहा है. बजरंगी के पास 3 वरदान थे. ब्रह्मदेव के वरदान से ही अशोकवाटिका में उन पर चला ब्रह्मास्त्र बेअसर रहा.

पवनदेव की कृपा से माता कुंती के गर्भ से भीम और मां अंजना ने हनुमान जी को जन्म दिया. इस प्रकार हनुमानजी और भीम दोनों भाई थे.

लंका जलाने के बाद हनुमान जी के पसीने की बूंद एक मछली के मुंह में चली गई. इससे हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज का जन्म हुआ

मां सीता ने हनुमान जी से कहा कि मांग में सिंदूर लगाने से राम खुश होते हैं. उसके बाद श्रीराम की प्रसन्नता के लिए हनुमान जी ने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया.

हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने से सभी मनोकामना पूरी होती है. वैवाहिक जीवन में मिठास आती है और मंगल दोष दूर होता है.