हनुमान जी श्रीराम के सबसे बड़े भक्त हैं, लेकिन ऐसा क्या हुआ कि उन्हें अपना सीना चीरकर अपनी भक्ति का परिचय देना पड़ा.

कथा के अनुसार श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद दरबार में मौजूद सभी लोगों को भेंट दी जा रही थी.

देवी सीता ने बजरंगबली को भी हीरे-मोतियों से जड़ी माला उपहार में दी.

हनुमान जी माला के मोतियों को गौर से देखने लगे और उन्हें एक-एक कर फेंक दिया. ये देख सभी हैरान हो गए.

हनुमान जी के इस कृत्य पर लक्ष्मण जी क्रोधित हो उठे, उन्होंने कहा कि इतनी बेशकीमती माला आपने यूं ही तोड़ दी.

इस पर हनुमान बोले जिन वस्तुओं में श्रीराम का नाम नहीं वह मेरे लिए व्यर्थ है.

लक्ष्मण जी ने हनुमान से कहा कि आपके शरीर पर भी राम का नाम नहीं है, फिर इसे भी त्याग दें.

इसके बाद हनुमान जी ने अपना सीना चीरकर श्रीराम और माता सीता की छवि दिखाई.