ट्रेन के पटरियों पर बिना फिसले सरपट दौड़ने के पीछे वैज्ञानिक तकनीक है

इसमें भौतिकी के अंतर्गत आने वाले घर्षण का नियम काम करता है

रेल की स्पीड को इस तरह से नियंत्रित किया जाता है कि वो दुर्घटनाग्रस्त ना हो

रेल के दोनों किनारों से लगने वाला पार्श्वकारी बल निश्चित सीमा के अंदर ही रहता है

पार्श्वकारी बल लंबवत लगने वाले बल से 30 या 40 प्रतिशत से अधिक नहीं होता

तब तक रेल के दुर्घटनाग्रस्त होने या पटरी से उतरने का खतरा नहीं है

रेल को अधिकतम गति क्षमता से कम पर चलाया जाता है

रेल को पटरी से फिसलने से बचाने के लिए सुरक्षा मानक हैं

जिनका पालन पटरियां बिछाने के दौरान भी होता है

रेल चलाने वाले ड्राइवर को भी इससे संबंधित जरूरी निर्देश दिए जाते हैं