चल धन्नो, आज तेरी बसंती की इज्जत का सवाल है यूंकी, ये कौन बोला? देखो, मुझे बेफजूल बात करने की आदत तो है नहीं ये आईने सी शफाक आंखें ... खुदा इनकी मासूमियत महफूस रखें मुझे जीतने की बहुत बुरी आदत है दुनिया में हर चीज बिक सकती है ... लेकिन गरीब का सम्मान नहीं भागने का नाम जवानी... और थम गई तो ठेहरा पानी मेरी शान मेरी लाश के साथ ही गिरेगी ... उससे पहले नहीं नया नौ दिन... पुराना सौ दिन प्यार उस से करना जो तुमसे प्यार करे ... खुद से ज्यादा तुमपर ऐतबार करे