शतरंज का खेल जब भारत में शुरू हुआ तब इसका ये नाम नहीं था

शुरुआती दौर में इसे 'चतुरंग' के नाम से जाना जाता था

दुनियाभर में इसे 'चेस' के नाम से जाना जाता है

भारत से ईरान होते हुए ये दुनिया में फैला

इसके बाद इसे यूरोपीय देशों से द्वारा दिया गया नाम है

शतरंज खेल की उत्पत्ति को महाभारत काल से भी जोड़ा जाता है

इसकी अधिक लोकप्रियता गुप्तकाल में हुई थी

राजा इस खेल के जरिए मनोरंजन के साथ मानसिक तौर पर मजबूत भी करते थे

इसमें दो अलग-अलग पक्षों के मोहरे होते हैं

जिनका मुख्य लक्ष्य एक दूसरे के पक्ष के राजा वाली मोहरे को मारना होता है