पुराना संसद भवन लगभग एक सदी से देश की गाथा का गवाह बना हुआ है इसकी आधारशिला साल 1921 में ड्यूक ऑफ कनॉट, प्रिंस आर्थर द्वारा रखी गई थी इसे जनवरी 1927 में शाही विधान परिषद की सीट के रूप में खोला गया था भारत में ब्रिटिश शासन के अंत के बाद, इसे संविधान सभा ने अपने अधिकार में ले लिया 1950 में भारत का संविधान लागू होने के बाद भारतीय संसद ने इसे अपने अधिकार में ले लिया इसमें केंद्रीय कक्ष के तीन ओर लोक सभा, राज्य सभा और ग्रंथालय के तीन कक्ष हैं राज्य सभा कक्ष में 250 सदस्यों के बैठने के लिए स्थान हैं इसमें मंत्रियों, संसदीय समितियों के सभापतियों और पार्टी के कार्यालय हैं लोक सभा तथा राज्य सभा सचिवालयों के महत्वपूर्ण कार्यालय भी यहीं हैं.