प्रेम क्या है? अगर यह पूछा जाए तो हर कोई जवाब देगा लेकिन जरूरी नहीं कि सबका जवाब एक जैसा हो

प्यार के मायने हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकते हैं

हकीकत में देखा जाए तो प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता

ये प्रेम किसी से भी हो सकता है, ये जरूरी नहीं कि प्यार सिर्फ दो लोगों के बीच ही हो

किसी को अपने कुत्ते से प्यार है तो किसी को उसकी आदतों से है

यह बात बहुत स्पष्ट रखनी होगी कि यदि प्रेम में स्वार्थ आ गया तो वह प्रेम नहीं हो सकता

अगर हम आपसे कहे किे प्रेम तीन प्रकार के होते हैं, तो चलिए जानते है

पहला प्रेम जो आकर्षण से पैदा होता है इसमे मोहभंग हो जाता है और आप बोर हो जाते हैं

दुसरा प्रेम सुख सुविधा के लोभ से पैदा होता है, इसमें कोई जुनून, उत्साह या खुशी नहीं होती है

तीसरा दिव्य प्रेम, यह सदाबहार है और सदैव नया रहता है