हमारे शास्त्रों में विभिन्न लोकों की कल्पना की गई हैं,
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हमारे शास्त्रों में विभिन्न लोकों की कल्पना की गई हैं,
जिसमें पृथ्वी के अतिरिक्त स्वर्ग, नरक और ब्रह्मलोक हैं.


मान्यताओं के अनुसार स्वर्ग लोक या देवलोक ब्रह्माण्ड का वो स्थान है,
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मान्यताओं के अनुसार स्वर्ग लोक या देवलोक ब्रह्माण्ड का वो स्थान है,
जहां हिन्दू देवी-देवता वास करते हैं.


विष्णु पुराण के अनुसार, सूर्य और ध्रुव के बीच,
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विष्णु पुराण के अनुसार, सूर्य और ध्रुव के बीच,
जो चौदह लाख योजन का अन्तर है, उसे स्वर्ग लोक कहते हैं.


माना जाता है कि स्वर्ग में सभी प्रकार के सुख उपलब्ध हैं.
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माना जाता है कि स्वर्ग में सभी प्रकार के सुख उपलब्ध हैं.
वह एक बहुत ही अनूठा लोक है,जहां देवता लोग निवास करते हैं.


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पुराणों के अनुसार मृत्यु के देवता यमराज अपने राजमहल कालित्रीमें निवास करते हैं.
यमलोक और धरती के बीच की दूरी कुल 86 हजार योजन बताई गई है.


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एक योजन का मतलब 4 कोस होता है,
और 4 कोस में कुल 12 किलोमीटर होते हैं.


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गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मनुष्य के प्राण,
उसके कर्मों के आधार पर निकलते हैं.


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अगर व्यक्ति ने अच्छे कर्म किए होते हैं तो,
उसके प्राण आंख या मुख से निकलते हैं.


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अगर मनुष्य पापकर्मी रहा है तो,
उसके प्राण शरीर के निचले हिस्से से निकलते हैं.