मुंबई शहर 7 द्वीप- छोटा कुलाबा, वरली, मझगांव,परेल, कोलाबा, माहिम, बॅाम्बे टापू से मिलकर बना है
मुंबई शहर पर 1534 ईस्वी में पुर्तगालियों का कब्जा था. 17वीं शताब्दी में जब अंग्रेज भारत आए तो उनकी नजर शहर पर थी. वैसे तो अंग्रेजों को मुंबई शहर दहेज में मिला था
इंग्लैंड के सम्राट चार्ल्स द्वितीय ने 17वीं सदी में पुर्तगाली राजकन्या कैथिलीन डी ब्रिगेंजा से शादी की, जिसमें पुर्तगालियों ने दहेज के तौर पर शहर ही अंग्रेजों को दे दिया
तब यब मुंबई शहर नहीं 7 टापू थे. इन टापुओं को 10 पाउंड सालाना पर ईस्ट इंडिया कंपनी को किराए पर दे दिया गया. ईस्ट इंडिया कंपनी ने ही बिखरे द्वीपों को धीरे-धीरे जोड़ा
ब्रिटिश कंपनी ने द्बीपों से फैल रही एक के बाद एक बीमारियों पर काबू पाया और धीरे-धारे इसे शहर का रूप देने लगे
साल 1708 में माहिम और मुंबई के सायन इलाके को जोड़ने के लिए एक कॉजवे बनाया गया. साल 1715 में अंग्रेजों किले का निर्माण कराया और सुरक्षा के लिए तोपें लगा दीं
साल 1772 में मुंबई में आने वाली बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए महालक्ष्मी और वरली टापू को जोड़ा गया
टापुओं से मुंबई शहर बनाने के लिए समुद्रों का अतिक्रमण भी किया गया. जलभराव पर पुस्ते बनाए गए, पहाड़ियों को समतल कराया गया और दलदल वाले इलाकों में मलबा भरकर उसे ठोस किया गया
शहर की रक्षा के लिए चारों तरफ से खाई बनवाई गई. अंग्रेजों ने लगभग 300 साल तक मुंबई पर राज किया
मुंबई को 19वीं सदी तक पूर्ण रूप से एक खूबसूरत शहर में बदल दिया गया था. मुंबई को राज्य का दर्जा भारत की आजादी के बाद मिला