दिल्ली सल्तनत की स्थापना के बाद भारत में फारसी माध्यम से इतिहास लिखने की परंपरा की शुरुआत हुई

इतिहास लिखने की यह परंपरा भारत से बाहर मध्य एशिया और इस्लामी देशों में विकसित हुई थी

भारत में आने के बाद इस पर यहां के परंपराओं का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक था

धीरे-धीरे भारत में फारसी के स्तर पर इतिहास लिखने का विकास होने लगा

मुगलकाल आते-आते कई गैर-मुस्लिम इतिहासकार भी फारसी माध्यम से इतिहास लिखने लगे

इस इतिहास लेखन की मुख्य विशेषताओं को कई इतिहासकार ने प्रभावित किया

दिल्ली सल्तनत में फारसी इतिहास लिखने की न केवल शुरुआत हुई बल्कि इसका काफी विकास भी हुआ

इतिहास का सबसे ज्यादा विकास मुगल काल में हुआ

इस काल में इतिहास लेखन कई अन्य विधाओं के माध्यम से होने लगा

मुगल काल में इतिहास लिखवाने के लिए इतिहासकारों की नियुक्ति और स्वतंत्र रूप से इतिहास लेखन के परंपरा का विकास हुआ