जैसे ही सर्दी बढ़ने की शुरुआत हो रही है वैसे वैसे सर्दी से बचने के लिए ऊनी व गर्म कपड़ो का चलन शुरू हो गया है
भक्तों की धार्मिक मान्यता है कि सर्दी इंसानों को ही नहीं भगवान को भी लगती है
जैसे ही सर्दी का मौसम शुरू होता है वैसे ही अपने आराध्य को कड़ाके की ठंड से बचने के लिए भक्त गर्म कपड़े पहना रहे हैं
जोधपुर शहर के नामी मंदिरों से लेकर लोगों के घर के मंदिर में भी देवी देवताओं के श्रंगार वस्त्र मौसम के अनुकूल हो गये है
कोई ऊनि कपड़े पहनना रहा है तो कोई वेलवेट से सिले गर्म कपड़े पहन रहा है
कोई भगवान को रजाई उड़ा रहा है तो कोई कंबल किसी-किसी मंदिर में गर्भगृह में हीटर और ब्लोअर की व्यवस्था भी की गई है
जोधपुर के प्राचीन अचलनाथ महादेव मंदिर, घनश्याम जी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में सर्दी की शुरुआत होते ही ऊनि कपड़ों का श्रृंगार के साथ ही भोग भी मौसम के अनुकूल दिया जाता है
इस सर्दी के मौसम में गर्म खाद्य सामग्री के अलावा बादाम, पिस्ता, काजू, गुड़ आदि का भोग लगाया जा रहा है
साबूदाना खिचड़ी और कुट्टू के आटे की पूरी का भोग लगाया जा रहा है
आमतौर पर हर भक्त अपने आराध्य के प्रति ऐसी सोच रखता है कि जैसे उन्हें सर्दी लगती है तो उनके आराध्य देव को भी सर्दी लगती है
बता दें, सर्दी के दिनों में गर्म ऊनी कपड़े व ड्राई फ्रूट्स के भोग लगाया जाता है