3500 साल पहले युधिष्ठिर ने यमुना के पश्चिमी तट पर पांडव राज यानी इंद्रप्रस्थ की बुनियाद रखी थी

कहा जाता है कि 800 बीसी में कन्नौज के राजा ढिल्लू ने इंद्रप्रस्थ पर कब्जा कर लिया

जिसके बाद इस शहर का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ से ढिल्लू कर दिया गया

इस तरह ढिल्लू का नाम बदलते बदलते ढीली, देहली, देल्ही और दिल्ली हो गया

हालांकि इतिहासकारों का कहना है कि दिल्ली शब्द फारसी शब्द दहलीज या देहली से निकला है

ये भी कहा जाता है कि तोमर वंश के राजा अनंगपाल 2 के समय दिल्ली का नाम ढिल्लिका था

ढिल्लिका के राजा के किले में एक लौह स्तंभ खड़ा था

उस दौर के पंडितों का कहना था कि जब तक लौह का स्तंभ रहेगा, तब तक तोमर वंश रहेगा

जिसके बाद इस लौह स्तंभ को खुदवाया गया तो पता चला कि स्तंभ सांपों के खून में घुसा हुआ था

जिसके बाद इसको दोबारा से स्थापित कराया गया लेकिन लौह स्तंभ ढीला रह गया

ऐसे में कहा जाता है कि इस हिलते खंभे की वजह से इसका नाम ढीली या ढिल्लिका पड़ा था

कहा जाता है कि ढीली, ढिल्लिका से बदलते बदलते दिल्ली हो गया

हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है यह कह पाना मुश्किल है.