मुगल शासक अकबर बचपन से ही हाथियों को अपने काबू में रखने का शौक रखते थे



अकबर को हाथियों का शौक इस कदर था कि वह इसके लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं करते थे



बड़ी संख्या में हाथियों को पकड़ने के लिए वह जंगलों में जाते थे और अभियान चलाते थे. इन अभियानों में उनकी सेना काम करती थीं



एक बार अकबर को मध्य प्रदेश के मालवा के जंगली इलाकों में पाए जाने वाले विशालकाय हाथियों के बारे में पता चला तो वह अपने लोगों के साथ वहां पहुंच गए



साल 1564 में तेज बारिश होने की वजह से नदी में बाढ़ आने के बावजूद भी अकबर अपने पालतू हाथी पर सवार होकर जंगली हाथी को पकड़ने गए थे



जंगली हाथियों को काबू करने के लिए अकबर अपने पालतू हाथी भी साथ लेकर गए



उन्होंने पालतू हाथियों को जंगली हाथियों के पीछे दौड़ा दिया ताकि जंगली हाथी दौड़ते-दौड़ते थक जायें और सैनिक उन हाथियों को काबू में कर लें



अकबर ने 70 हाथियों के झुंड को अपने कब्जे में कर लिया और उन्हें सिपरी के दुर्ग में ले गए



इतने सारे हाथियों को पकड़ने के बाद भी अकबर का मन नहीं भरा और कुछ महीने बाद दोबारा से नरवर के जंगली हाथी पकड़ने चले गए



अकबर ने वहां हाथियों को पकड़ने का पुराना तरीका अपनाकर एक बड़ी संख्या में हाथियों को काबू करके अपनी सेना में शामिल कर लिया



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