मुगल बादशाह अकबर की बुआ और बाबर की बेटी गुलबदन ने ऑटोमन के सुलतान का विद्रोह किया था



इस कहानी का जिक्र इतिहासकार रूबी लाल ने अपनी किताब वेगाबॅान्ड प्रिंसेज: द ग्रेट एडवेंचर्स ऑफ गुलबदन में किया है



एक बार गुलबदन हज यात्रा के लिए मक्का गयीं. मुगल काल में वह हज यात्रा करने वाली सबसे पहली महिला थीं



मक्का जाने के बाद गुलबदन और उनके साथ गई महिलाओं ने चार साल तक अरब में रहने का निर्णय किया



अरब में रहने के दौरान गुलबदन और बाकी महिलाओं ने लोगों को दान दिया, जिसकी खूब चर्चा होने लगी



गुलबदन के इस कार्य से ऑटोमन के सुलतान मुराद अली नाराज हो गए क्योंकि उन्होंने इसे अकबर की बढ़ती राजनीतिक शक्ति के रूप में देखा



नाराजगी में सुलतान मुराद ने राजकुमारी गुलबदन और उनकी साथी को अरब से बाहर निकालने के लिए शाही फरमान भेजा



गुलबदन बेगम ने सारे शाही फरमान ठुकराकर अपनी आजादी को सबसे ऊपर रखा



इन सबके बाद ऑटोमन के सुलतान ने तुर्की भाषा में एक ऐसा फरमान भेजा कि अकबर नाराज हो गए



साल 1580 में गुलबदन और उनकी साथी दो साल की यात्रा के बाद अरब से फतेहपुर सीकरी पहुंचीं