पहले मुगल शासक बाबर ने एक बार दुआ मांगी कि उनकी जिंदगी हुमायूं को लग जाए



इस कहानी का जिक्र गुलबदन बानो ने अपनी हुमायूंनामा में किया है. आइए जानते हैं उसके बाद क्या हुआ



बाबर की इस दुआ मांगने के कुछ ही महिनों बाद उनकी मौत हो गई



एक बार बाबर के बेटे हुमायूं बहुत ज्यादा बीमार पड़ गए और कोई भी हकीम उन्हें ठीक नहीं कर पा रहे थे



हुमांयूनामा के अनुसार बाबर को एक अमीर मीर ने सलाह दी कि मरीज की सबसे कीमती चीज दान करके उसके सेहत की दुआ की जाए



बाबर हुमायूं की सबसे कीमती चीज खुद को मानता था इसलिए उसने तय किया वह खुद की कुर्बानी देगा



बाबर ने हुमायूं के पलंग के तीन बार चक्कर लगाए और दुआ मांगी कि अगर जान का बदला जान हो सकती है तो उसकी जिंदगी हुमांयू को लग जाए



बाबर के दुआ मांगने के बाद हुमायूं ने अपनी आंखें खोल दी और बिस्तर पर उठकर बैठ गए



इस वाकिए के बाद हुमायूं की सेहत अच्छी होने लगी, लेकिन बाबर की सेहत बिगड़ने लगी



तीन महीनों तक बाबर बिस्तर पर पड़े रहे और उसके बाद दम तोड़ दिया