नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (NSSO) ने साल 2001 में रिपोर्ट जारी की थी. यह सर्वे 1999-2000 के बीच एक सर्वे के आधार पर जारी की गई थी. सर्वे में 20 जिलों के 8159 परिवारों को शामिल किया गया
बिहार की 13 करोड़ से ज्यादा की कुल आबादी में से 17 फीसदी मुस्लिम आबादी है. सर्वे में बताया गया कि 49.5% ग्रामीण और 44.8% शहरी मुस्लिम गरीबी रेखा से नीचे हैं. बिहार की मुस्लिम आबादी का 87 फीसदी हिस्सा गावों में रहता है और इनमें से सिर्फ एक तिहाई के पास ही खेती के लिए जमीन है
एनएसएसओ की रिपोर्ट के आंकड़े से पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले मुस्लिम परिवार साल का एवरेज 31.55 हजार रुपये कमाते हैं, जो महीने का 2 हजार 630 रुपये बैठता है. रिपोर्ट में बताया गया कि कुल आय में से सिर्फ 9.3 फीसदी ही मुस्लिम खेती से कमाते हैं
शहरों में रहने वाले मुस्लिम परिवारों की वार्षिक आय 43.64 हजार रुपये है, जो महीने का 3,640 बैठता है
रिपोर्ट में बताया गया कि पटना में रहने वाले मुस्लिम सबसे ज्यादा कमाते हैं. यहां मुस्लिम परिवार की सालाना कमाई 76.56 हजार रुपये है
पटना के बाद जहानाबाद, गोपालगंज और वैशाली जिले के मुसलमानों की एवरेज सालाना आय 45 हजार रुपये है
रोहतास, भागलपुर, लखीसराय और दरभंगा जिले के शहरी मुसलमानों की एवरेज वार्षिक आय 35 हजार रुपये से भी कम है
अपर कास्ट मुस्लिम परिवारों की सालाना आय पिछड़ा वर्ग के मुस्लिम परिवारों से 18.4 फीसदी ज्यादा है
रिपोर्ट के अनुसार अपर कास्ट के मुसलमान एवरेज 35.47 हजार रुपये सालाना कमाते हैं, जबकि पिछड़ा वर्ग के मुस्लिम परिवार एवरेज 29.97 हजार रुपये सालाना कमाई करते हैं