एक पेड़ को बचाने के लिए बिश्नोई समाज के 300 से ज्यादा लोगों ने कटवा दी थी अपनी गर्दन
Published by: एबीपी लाइव डेस्क
Image Source: Representative/Pixabay
खेजड़ी नाम का एक पेड़ होता है, जिसकी रक्षा करने के लिए बिश्नोई समाज के तीन सौ से ज्यादा लोगों ने अपनी जान की कुर्बानी दे दी थी
Image Source: Representative/Pixabay
बिश्नोई समाज के लोग इसकी भगवान की तरह पूजा करते हैं. ये लोग खेजड़ी के पेड़ को तुलसी और पीपल के समान मानते हैं
Image Source: Representative/Pixabay
साल 1730 में जोधपुर के महाराजा अजय सिंह को अपने महल के लिए लकड़ी के लिए खेजड़ी का पेड़ चाहिए था
Image Source: Representative/Pixabay
राजा के आदेश पर सैनिक खेजड़ी का पेड़ काटने निकल गए. तभी बिश्नोई समाज की अमृता देवी पेड़ से लिपटकर बोलीं भले ही मेरी गर्दन काट दो लेकिन पेड़ काटने नहीं दूंगी
Image Source: Representative/Pixabay
सैनिकों ने अमृता देवी की गर्दन काट दी. पेड़ की रक्षा करने आई उनकी तीनों बेटियों और पति की भी गर्दन काट दी गई. इसी तरह एक खेजड़ी के पेड़ को बचाने के लिए 363 लोगों ने अपनी गर्दन कटवा दी थी
Image Source: Representative/Pixabay
खेजड़ी के पेड़ के बहुत फायदे हैं. यह इकलौता पेड़ है जो रेगिस्तान जैसी जगहों पर मई जून के समय में भी हरा-भरा खड़ा रहता है
Image Source: Representative/Freepik
खेजड़ी के पेड़ के पत्तों को लूंगा कहते हैं. यह पत्ते बकरी और ऊंट के भोजन में काम आते हैं
Image Source: Representative/Pixabay
इस पेड़ के फूल, मींझर, फल और सब्जी अचार जैसी चीजें बनाने के काम आते हैं
Image Source: Representative/Pixabay
इसके फल जब सूख जाते हैं, तो उसका उपयोग सूखे मेवा और दवाइयां बनाने में होता है
Image Source: Representative/Pixabay
खेजड़ी की लकड़ी बहुत ही ज्यादा मजबूत होती है. इसकी लकड़ी से फर्नीचर और खेत में किसानों के इस्तेमाल के लिए हल भी बनाया जा सकता है