अंग्रेजों को मुगल बादशाह औरंगजेब से एक जंग में इतनी बुरी हार मिली कि जमीन पर लेटकर माफी मांगनी पड़ी
एलेकजेंडर हेमिल्टन ने अपनी किताब में इस किस्से का जिक्र किया है
ईस्ट इंडिया कंपनी 1603 में भारत में आई और जल्दी ही अपने चरम पर पहुंच गई. यहां डच, पुर्तगाली और कई स्वतंत्र व्यापारी भी व्यापार करते थे. जब ये खबर लंदन पहुंची तो अंग्रेज ग़ुस्से में आ गए
इस बात से खफा होकर ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रमुख ने बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से होकर गुजरने वाले मुगल जहाजों को लूटने का आदेश दे दिया
ईस्ट इंडिया कंपनी चाहती थी कि भारत की सारी दौलत उनके पास जाए न कि दूसरे देशों के पास. अपने मुनाफे में दूसरे व्यापारियों का दखल उन्हें नागवार गुजरा
साल 1686 में ब्रिटेन से सिपाहियों को भारत भेजकर चट गांव पर कब्जा करने का आदेश दिया गया. इस लड़ाई को जंग-ए-चाइल्डस भी कहा जाता है
अंग्रेजों ने मुगलों के कुछ जहाज लूट लिए. इसके जवाब में मुगलों ने भी एक जहाज भेजकर बंबई तट पर घेराबंदी कर दी
किताब के मुताबिक, औरंगजेब 20 हजार की सेना लेकर बंबई तट पर पहुंच गया और गोला-बारी शुरू कर दी. तब अंग्रेजों को बचने के लिए एक किले में पनाह लेनी पड़ी
मुगलों ने ईस्ट इंडिया कंपनी के बाहरी इलाकों को लूटकर वहां मुगल झंडे लगवा दिए
कुछ समय बाद किले में छिपे अंग्रेजों को खाने की कमी होने लगी और बीमारी ने भी हमला बोल दिया, जिसकी वजह से अंग्रेज एक-एक कर मरने लगे
बंबई में साल 1690 में 15 महीने तक घेराबंदी चलती रही. आखिरकार अंग्रेजों ने घुटने टेक दिए और मुगलों से बात करने के लिए अपने दो दूत भेजे
जब ये दूत बादशाह के पास पहुंचे तो उन्हें जमीन पर लेटने का हुक्म दिया गया और अंग्रेजों को अपने अपराध के लिए माफी मांगनी पड़ी