येरुशलम यहूदी, ईसाई और इस्लाम तीनों धर्मों के लिए पवित्र स्थल है



आइए जानते हैं कि यहां ईसाइयों और मुस्लिमों के बीच 200 साल तक जंग क्यों चली थी



येरुशमल के इन धर्म युद्धों को क्रुसेड्स और युद्ध में लड़ रहे सैनानियों को क्रुसेडर्स कहा जाता था



साल 1096 में येरुशमल पर मुस्लिमों का दबदबा था, जबकि ईसाई धर्म के लोग यहां अपना अधिकार जमाना चाहते थे



मई 1097 में क्रुसेडर्स ने पहली क्रुसेड लड़ाई शुरू की, जिसमें ईसाई धर्म के लोगों की मुस्लिमों पर जीत हुई



साल 1144 में दूसरा क्रुसेड युद्ध हुआ, लेकिन इस बार मुस्लिम इसाईयों पर भारी पड़े



यह लड़ाई तब भी शांत नहीं हुई और साल 1187-1192 में तीसरा क्रुसेड युद्ध हुआ. इस युद्ध में किसी भी धर्म की जीत नहीं हुई, बल्कि लड़ाई को शांत करने के लिए एक ट्रीटी साइन की गई



यहुदियों का पवित्र मंदिर सेकंड टेंपल येरुशलम में है. इसके अलावा, यहूदी धर्म की शुरुआत भी येरुशलम में हुई



ईसाइयों का मानना है कि यीशु को सूली पर चढ़ाने से पहले उन्हें येरुशलम के एक गलियारे से लेकर गए थे, जिसे Via Dolorosa Street कहा जाता है. ईसा मसीह ने इस शहर में उपदेश भी दिए थे



मुस्लिमों के लिए मक्का मदीना के बाद येरुशलम सबसे पवित्र स्थल है. उनका मानना है कि पैगंबर मुहम्मद ने यहीं से जन्नत तक का सफर तय किया था