लोकसभा चुनाव के बाद नई सरकार का भी गठन हो गया है. रविवार (9 जून, 2024) को नरेंद्र मोदी और अन्य सांसदों ने कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली



इन सांसदों को कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है. आइए जानते हैं इनमें क्या अंतर होता है



केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री के बाद मंत्रीमंडल में सबसे ताकतवर कैबिनेट मंत्री होते हैं



एक कैबिनेट मंत्री को एक से अधिक मंत्रालय भी दिए जा सकते हैं और सभी कैबिनेट मंत्री सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं



कैबिनेट की बैठक में सारे अहम फैसले कैबिनेट मंत्री ही लेते हैं. एक कैबिनेट मंत्री को सारे भत्ते मिलाकर हर महीने 2.32 लाख सैलरी मिलती है



कैबिनेट मंत्री के बाद दूसरे नंबर पर राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आते हैं और इनका औहदा कैबिनेट मंत्री से थोड़ा कम होता है



राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं होते हैं और वे भी प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं



राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को हर महीने सभी भत्ते मिलाकर 2.31 लाख सैलरी मिलती है



राज्यमंत्री कैबिनेट मंत्री के सहयोगी होते हैं और वे प्रधानमंत्री को नहीं बल्कि कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट करते हैं. राज्य मंत्री कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हो सकते है



राज्य मंत्री को सभी भत्ते मिलाकर लगभग 2.30 लाख रुपये सैलरी मिलती है और राज्य मंत्री को सरकारी भत्ता सबसे कम मिलता है