पाकिस्तान के प्रसिद्ध धर्मगुरु मुफ्ती तारिक मसूद ने बताया है कि क्यों ईद-ए-मिलाद पर जश्न नहीं मनाना चाहिए
मुसलमान पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन को ईद-ए-मिलाद पर्व के रूप में मनाते हैं
मुफ्ती साहब के मुताबिक, इस्लाम में बर्थ डे सेलिब्रेट करने का रिवाज नहीं है. जन्मदिन मनाने का रिवाज अंग्रेजों का है
मुफ्ती तारिक मसूद का कहना है कि पूरे अरब में ईद-ए-मिलाद सेलिब्रेट नहीं किया जाता है, भारत और पाकिस्तान में कुछ जगहों पर लोग इस दिन जश्न मनाते हैं
उन्होंने बताया कि सऊदी अरब के लोग ईद-ए-मिलाद का जश्न नहीं मनाते हैं. इस दिन वहां पर मक्का मदीना से लेकर किसी भी गली में एक बत्ती भी जलती हुई नजर नहीं आती है
मुफ्ती साहब ने कहा कि सही हदीस है कि नबी पीर के दिन का रोजा रखते थे. सहाबा ने जब इसकी वजह पूछी तो उन्होंने कहा कि ये मेरा यौम-ए-विलादत है मतलब इस दिन वह पैदा हुए थे
उन्होंने बताया कि रोजा और ईद एक दिन नहीं मनाया जा सकता. रमजान खत्म होने के बाद ही ईद आती है
मुफ्ती साहब ने कहा कि नबी ने पीर का रोजा रखकर बता दिया कि इसमें ईद का तसव्वुर नहीं है
मुफ्ती तारिक मसूद ने कहा कि ईद और रोजा जमा नहीं हो सकते. अब इसको सेलिब्रेट नहीं किया जा सकता. जिस दिन रोजा हो जाएगा उसको सेलिब्रेट करना मुमकिन है ही नहीं