बार-बार क्यों तोड़ा और बनाया गया सोमनाथ मंदिर?

Published by: एबीपी लाइव डेस्क
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गुजरात में मौजूद गिर सोमनाथ मंदिर को आजादी से पहले सात बार तोड़ा और बनवाया गया

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सबसे पहली बार सोमनाथ मंदिर का निर्माण पाशुपत संप्रदाय के आचार्य सोमशर्मा ने करवाया था

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इसके बाद 470 ईस्वी में मैत्रक वंश और सौराष्ट्र गुप्त के साम्राज्य से अलग होने के बाद राजा धारसेन चतुर्थ ने दूसरी बार सोमनाथ मंदिर को बनवाया था

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725 ईस्वी में अरबी सेना ने लूटपाट के चक्कर में सोमनाथ के इलाकों में हमला कर दिया था, जिस वजह से मंदिर भी बिखर गया था. इसके अलावा, मंदिर का मुख्य भवन अपने आप ही खराब हो गया था

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8वीं और 9वीं सदी के समय सौराष्ट्र के चालुक्य वंश के राजाओं ने लाल बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल करके मंदिर को फिर से बनाया

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एक अधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, सोमनाथ मंदिर बहुमूल्य रत्नों से भरा हुआ था, इसकी चर्चा पूरी दुनिया में होने लगी. धन दौलत के लालच में महमूद गजनवी ने 6 जनवरी, 1026 में मंदिर पर हमला कर दिया

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आठ दिन तक लगातार युद्ध के बाद महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर में आग लगा दी, इस मंदिर को बचाने के लिए करीब पचास हजार लोगों ने अपनी जान का बलिदान दिया था

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इसके कुछ सालों बाद मालवा के परमार वंश के राजा भोज और चालुक्य वंश के शासक भीम देव प्रथम ने चौथी बार मंदिर बनवाया. पांचवी बार फिर से चालुक्य वंश के राजा कुमार पाल ने मंदिर ठीक करवाया

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1298 में अलाउद्दीन खिलजी के कहने पर अलफ खान ने मंदिर पर हमला किया. 1308 में जूनागढ़ के राजा महिपाल देव ने फिर से सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया

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अहमदाबाद के सुल्तान महमूद बेगड़ा ने 1469 में मंदिर को तुड़वा दिया. इसके बाद 16वीं सदी में अकबर के शासन में मंदिर को ठीक करवाया गया. इतिहासकारों के अनुसार, 1706 में औरंगजेब ने इस मंदिर को मस्जिद में बदल दिया

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आजादी के बाद 8 मई, 1950 को सोमनाथ मंदिर के निर्माण के लिए महाराजा दिग्विजय सिंह ने भूमि पूजन किया, फिर 11 मई को पूर्व राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग की स्थापना की

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