ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खेमेनेई ने पिछले दिनों भारतीय मुस्लिमों को लेकर बड़ी चिंता जताते हुए बड़ा बयान दिया था, जिसका भारत ने भी मुंह तोड़ जवाब दिया और हिंदू अल्पसंख्यकों की हालत को लेकर उन्हें आइना दिखा दिया
ईरान में 99.5 फीसदी मुस्लिम हैं, हिंदू वहां 20 हजार के करीब हैं. ईरान सिर्फ ईसाई, जोरोएस्ट्रियनिज्म और बहाई को माइनॉरिटी मानता है और उन्हें ही संविधान में अपनी रिलीजियस प्रैक्टिस का अधिकार मिला है. हिंदू और सिख को वह माइनॉरिटी नहीं मानता है
ईरानी नेता के बयान के बाद इस बात की भी चर्चा होने लगी है कि ईरान में हिंदुओं की क्या स्थिति है और वह किस हालत में रह रहे हैं.
ईरान में हिंदू और सिखों के लिए मुख्यरूप से तीन धार्मिक स्थल हैं, जिनमें से एक विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर है
ईरान के बंदर अब्बास शहर में भगवान विष्णु का मंदिर है. इसका निर्माण 1892 में किया गया था
उस दौरान विष्णु मंदिर को ईरान में रह रहे हिंदू व्यापारियों के दिए गए चढ़ावे से बनाया गया था
ईरान में सिखों के लिए दो गुरुद्वारे भी हैं. इनमें से एक ईरान की राजधानी तेहरान में है और दूसरा गुरुद्वारा जहेदान में है
तेहरान में बने गुरुद्वारे का नाम भाई गंगा सिख सभा या मस्जिद ए हिंदान है. जहेदान में जो गुरुद्वारा है उसका नाम गुरुद्वारा सिंह सभा है
Scroll.in के अनुसार ज्यादातर सिख तेहरान और जहेदान में रहते हैं. जहेदान में 2001 में 20 सिख परिवार थे और 2021 में सिर्फ 10 फैमिली रह गईं. ईरान सिख को माइनॉरिटी ग्रुप नहीं मानता है