पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना भारत के राजस्थान की जोधपुर रियासत को हड़पना चाहते थे, लेकिन सरदार वल्लभ भाई पटेल की वजह से वह बस हाथ मलते रह गए



जिन्ना की नजर काफी समय से राजस्थान की रियासत जोधपुर पर थी, वह किसी भी कीमत पर जोधपुर को पाकिस्तान में शामिल करना चाहते थे



इसी से जुड़ा एक किस्सा है. वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन के सचिव वीपी मेनन जब राजा हनुमंत सिंह से जोधपुर के भारत में विलय के लिए हस्ताक्षर के लिए गए तो राजा ने उन पर बंदूक तान दी



ये बंदूक वही कलम थी, जिससे राजा ने दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए. जिस समय यह घटना हुई तो कमरे में लॉर्ड माउंटबेटन आ गए और उन्होंने इसे मजाक में टाल दिया. बाद में राजा ने माउंटबेटन को कलम भेंट कर दी. अब जानते हैं कि जिन्ना का प्लान सरदार पटेल ने कैसे फेल किया



उन्होंने राजा हनुमंत सिंह को यह तक कह दिया कि वह कोरे कागज पर जो भी लिखेंगे वह उस पर दस्तखत कर देंगे, बस वह जोधपुर को पाकिस्तान में मिला लें



बीपी मेनन ने अपनी किताब, 'द स्टोरी ऑफ इंटिग्रेशन ऑफ इंडियन स्टेट्स' में बताया कि जोधपुर आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा था और लोग वहां से पलायन कर रहे थे



जिन्ना ने मौका मिलते ही जोधपुर के राजा हनुमंत सिंह से मुलाकात की और राजा को राशन देने और लाहौर बंदरगाह का प्रयोग करके ट्रेड करने का ऑफर दिया



राजा हनुमंत सिंह ने जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लिया और सोचने के लिए समय मांगा



जब सरदार पटेल को जिन्ना और हनुमंत सिंह की मुलाकात के बारे में पता चला तो वह तुरंत हनुमंत सिंह से मिले और जिन्ना से हुई उनकी मीटिंग के बारे में पूछा



हनुमंत सिंह ने जिन्ना के प्रस्तावों के बारे सरदार पटेल को बताया. इसके बाद सरदार पटेल ने राजा से राशन देने और जोधपुर से गुजरात के बीच ट्रेड के लिए एक रेलवे ट्रेक बनवाने का भी वादा किया



सरदार पटेल की सभी शर्तों के साथ हनुमंत सिंह जोधपुर को भारत में शामिल करने के लिए मान गए. इस तरह भारत में राजस्थान का गठन 30 मार्च 1949 में हुआ था