अकबर तो काबुल जाना चाहते थे तो फिर वह हिंदुस्तान के बादशाह कैसे बन गए? अकबर के सलाहकार बैरम खां उन्हें हिंदुस्तान का बादशाह बनने के लिए उकसाया करते थे पार्वती शर्मा अपनी किताब 'अकबर ऑफ हिंदुस्तान' में लिखती हैं कि अकबर के पास काबुल और दिल्ली दो विकल्प थे अकबर तो काबुल वापस जाकर वहां की राजगद्दी संभालना चाहते थे अकबर की ये चाहत बैरम खां को बिलकुल मंजूर नहीं थी हिंदू शासक हेमू विकरमादित्य से दिल्ली हारने के बाद मुगल गवर्नर टारडी खां जान बचाने के लिए पंजाब भाग गया जब टारडी खां अकबर से मिलने पहुंचा तो वह शिकार पर गए हुए थे तभी बैरम खां ने टारडी की हत्या कर दी बैरम खां ने अपने नंबर 2 के पीर मोहम्मद से अकबर को टारडी खां की मौत की खबर के साथ पैगाम भिजवाया कि युद्ध से भागने वालों को इससे सबक मिलेगा इसके बाद मुगलों ने दिल्ली की हार का बदला लेने के लिए हेमू के साथ जंग शुरू कर दी. इस जंग में हेमू को बंधी बनाकर अकबर के सामने पेश किया गया आम धारणा है कि बैरम खां ने तलवार से हेमू की गर्दन काट दी और 14 साल की उम्र में अकबर हिंदुस्तान के बादशाह बन गए