आज महंगे ब्रांड के कपड़े, लेकिन 1800 साल पहले रत्न जड़े कपड़े पहनते थे भारतीय

Published by: एबीपी लाइव डेस्क
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कवि कालिदास ने अपनी किताब रघुवंश महाकाव्य में बताया है कि 18वीं सदी में लोग आज की तरह खीर, मोदक, श्रीखण्ड, आम, अनाज, चावल, मांस, मछली जैसी चीजें खाते थे

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उन्होंने बताया कि उस समय लोग ज्यादातर सफेद, लाल, नीले, केसरिया और काले रंग के कपड़े पहना करते थे. पुरुष स्कार्फ, धोती और पगड़ी पहनते थे.

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अमीर लोग पगड़ी में रत्न लगवाते थे और रेशम के कपड़े इस्तेमाल करते थे. लोग चीन से लाए गए सबसे बेस्ट क्वालिटी के चिनांनशुक नाम के रेशम से बने कपड़े का उपयोग करते थे

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कवि कालिदास ने अपनी किताब में लिखा है कि उस वक्त लोग सिक्के से बनाए गए हार सबसे ज्यादा पहना करते थे. इसके अलावा मोतियों की माला, मणि और रत्नों से जड़े हार पहनते थे

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हार के अलावा लोगों के कानों में कुंडल और उंगलियों में अंगूठी हुआ करती थीं. उस समय लोग एक ऐसी अंगूठी भी पहनते थे जो सांप के आकार की होती थी, साथ ही उसमें पहनने वाले का नाम लिखा होता था

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उस वक्त मालवा के लोग मॉनसून में हल चलाते थे. तमिलनाडु से सबसे ज्यादा बहुमूल्य मोती, ओडिशा और असम से हाथी, हिमालय के जंगलों से सुगंधित तेल, केरल के जंगलों से लॉन्ग, इलायची और काली मिर्च का व्यापार ज्यादा होता था

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उस समय लोग तीन तरह की शराब का सेवन करते थे. नारियल, गन्ने और फूलों से निकाली गई शराब 18वीं सदी में लोग पिया करते थे

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अभिज्ञान शकुंतला में कालिदास बताते हैं कि 18वीं सदी में राजा यूनानी महिला सहायकों के साथ शिकार पर जाते थे. उस समय सरकार को लोकतंत्र कहा जाता था. राजा के बाद मुख्यमंत्री, विदेश मंत्री और न्याय मंत्री का दर्जा सबसे ऊंचा था

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18वीं सदी में पुलिस प्रमुख को नगरक कहते थे. उस दौरान भी भ्रष्टाचार, वसूली और जबरन जैसी चीजें हुआ करती थीं

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