अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने की सबसे पहली लड़ाई साल 1857 में लड़ी गई थी



उस दौरान कई वीर शहीद हुए थे जिनका नाम कहीं गुमनाम हो गया है. आइए याद करते हैं उन वीरों को जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी



पहले हैं नाना राव पेशवा, जिन्हें अंग्रेजों ने पेंशन देने से मना कर दिया था. इसके बाद नाना राव पेशवा 1857 की क्रांति में अपना योगदान देने के लिए उतर गए



नाना राव को क्रांति का ख्याल तब आया जब वह पेंशन के मामले में इंग्लैंड से वापस लौट रहे थे. उस समय उन्होंने देखा कि युद्ध में कीमीया के लोगों ने अंग्रेजों को बुरी तरह से हरा दिया था



नाना राव पेशवा की बेटी मैनावती बाई भी 1857 की क्रांति में अपने पिता के साथ कूद पड़ी थीं, लेकिन बाद में अंग्रेजों ने उन्हें बेरहमी से जिंदा जला दिया



अब बात करते हैं अजीजन बाई की, जिनकी अंग्रेजों से काफी बातचीत थी. वह साल 1857 के युद्ध में नाना राव पेशवा को अंग्रेजों की सारी खुफिया जानकारी दिया करती थीं



जब अंग्रेजो को इसका पता चला तो उन्होंने अजीजन बाई को तोप की नाल से बांधकर उड़ा दिया था



ऐसे ही एक क्रांतिकारी थे जयदेव कपूर, जो बम बनाने का काम करते थे. साथ ही क्रांतिकारियों को इसका इस्तेमाल करना भी बताते थे. वह क्रांतिकारियों के साथ रहकर स्वतंत्र भारत की लड़ाई में काफी एक्टिव थे



भगत सिंह के दोस्त शिव वर्मा ने भी भारत को आजाद कराने में अपना योगदान दिया था. वह भगत सिंह के साथ मिलकर क्रांतिकारी के कामों में हर तरह से साथ देते थे



नाना राव पेशवा के सेनापति तात्या टोपे ने अंग्रेजों को खदेड़ने का काम किया था और कभी भी उनके हाथ नहीं आए. तात्या टोपे ने उसके बाद अपना जीवन एक साधु के रूप में बिताया