आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान के लिए सैनिकों का भी बंटवारा किया गया था
उस समय हिंदुस्तान के लगभग 98 फीसदी मुस्लिम सैनिकों ने पाकिस्तान को चुना था
मोहम्मद अली जिन्ना सैनिकों के बगैर पाकिस्तान की सत्ता संभालने के लिए तैयार नहीं थे. हालांकि, ब्रिटिश वायसरॉय माउंटबेटन ने 1948 तक का समय तय किया, लेकिन जिन्ना जिद पर अड़ रहे और दो महीने में ही सेना का बंटवारा कर दिया गया
नेशनल आर्मी म्यूजियम यूके के सीआईए दस्तावेज के अनुसार आजादी के समय ब्रिटिश इंडियन आर्मी में लगभग 4 लाख सैनिक थे, जिनमें से 30 से 36 फीसदी मुस्लिम थे. उनकी संख्या 1 लाख 30 हजार थी
जब सेना का बंटवारा किया गया तो भारतीय सेना में सिर्फ 2 फीसदी ही मुस्लिम सैनिक रह गए. बाकी 98 फीसदी ने पाकिस्तान जाने का विकल्प चुना
बंटवारे के बाद भारत को आर्मी के लिए 2 लाख 60 हजार जवान, 10 हजार एयरफोर्स और 5 हजार 7 सौ नेवी के जवान मिले
वहीं पाकिस्तान को 1 लाख 31 हजार आर्मी के जवान, 3 हजार एयरफोर्स और 3 हजार जवान नेवी के लिए मिले थे
उस समय भारतीय सेना में सिर्फ 554 मुस्लिम अधिकारी थे
एचएम पटेल ने अपनी किताब राइट्स ऑफ पैसेज में लिखा है कि सैनिकों के बंटवारे से पहले एक शर्त रखी गई थी
शर्त के अनुसार, पाकिस्तानी मुस्लिम भारतीय आर्मी में नहीं जाएंगे और भारत का कोई भी गैर-मुस्लिम पाकिस्तान की आर्मी में शामिल नहीं होगा