मोहम्मद अली जिन्ना के पाकिस्तान जाने के बाद उनकी एक कीमती चीज भारत में ही रह गई थी
तिलक देवेशर ने अपनी किताब पाकिस्तान एट द हेल्म में बताया है कि उस कीमती चीज के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जिन्ना को कई पत्र भी लिखे थे
जिन्ना ने 1936 में मुंबई शहर में एक आलिशान बंगला बनवाया था, जो उनके दिल के बहुत करीब था. आजादी के बाद भारत सरकार उस बंगले पर कब्जा करने जा रही थी
इस बात की खबर जब जिन्ना को लगी तो वह भारतीय राजनेता और पाकिस्तान में भारत के पहले उच्चायुक्त श्री प्रकाश के पास गए. उनके सामने उन्होंने गिड़गिड़ाकर कहा- नेहरू से कहना मेरा दिल ना तोड़े
मोहम्मद अली जिन्ना ने नेहरू से कहा था- इस घर को मत बेचना, मैं जल्दी वापस आऊंगा
आजादी से पहले यह घर उन्होंने अपनी बेगम रति की मौत के बाद बनवाया था. इस घर को बनाने की जिम्मेदारी उन्होंने मुंबई के सबसे बेस्ट आर्किटेक्ट क्लॅाड बैटली को दी थी
साल 1939 में जिन्ना ने घर में कदम रखा, लेकिन उसके चार महीने बाद ही भारत का बंटवारा हो गया
इन सबके बाद उन्होंने उस घर को बेचने का भी सोचा था, लेकिन इसके लिए जो कीमत उन्हें मिल रही थी उससे वह संतुष्ट नहीं थे
बंटवारे के बाद नेहरू ने मुंबई वाले घर को लेकर जिन्ना को कई पत्र भी भेजे थे. किसी यूरोपियन फैमली को किराए पर देने वाली डील फाइनल करने से पहले ही 1948 में जिन्ना की मौत हो गई.
साल 1950 में इवेक्वी प्रॅापर्टी एक्ट के तहत जिन्ना के घर को भारत सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया