भारत में बौद्ध और जैन धर्म के समय आजीविक (Ajivik) धर्म भी हुआ करता था, जिसके लीडर का नाम मक्खली गोशाल था
ये धर्म लुप्त कैसे हुआ इसका जिक्र सम्राट अशोक के जीवन पर आधारित ग्रंथ अशोक वदनम में मिलता है. इसके मुताबिक, अशोक ने आजिविकों के समूह को मौत की सजा सुनाई थी
एक दिन एक आजीविक भिक्षु बुद्ध की तस्वीर लिए घूम रहा था
तस्वीर में बुद्ध किसी के कदमों में बैठे हुए थे. अशोक बौद्ध धर्म के समर्थक थे , जब उन्हें इस बात की खबर लगी तो उन्होंने आजीविकों के पूरे समूह को मृत्यु की सजा सुना दी
वैसे मौर्य काल में ही आजिविकों की संख्या में कमी आने लगी थी और 1400 ईसवीं में इनका नामोनिशां पूरी तरह मिटा दिया गया था
आजीविकों के अवशेष उनके ग्रंथ सब कुछ मिटा दिए गए थे, लेकिन जैन और बौद्ध धर्म के ग्रथों में इनका जिक्र मिलता है
बौद्ध और जैन धर्म के ग्रंथों में आजीविक धर्म के बारे में काफी आलोचना लिखी गई है
बौद्ध और जैन ग्रंथों में आजीविकों की अधिकतर आलोचनाएं देखने को मिलती हैं
आजीविक बौद्ध और जैन धर्म की ही तरह नास्तिक लोगों का एक समूह था
बौद्ध जातक कथा के मुताबिक, आजीविकों को प्रोफेशनल भिक्षु कहा जाता था