आजादी के समय भारत 17 प्रांत और 550 रियासतों में बंटा हुआ था



बंटवारे में सभी रियासतों और प्रांतों को भारत और पाकिस्तान में शामिल करने का काम शुरु हुआ. जहां ज्यादातर रियासतों को आसानी से भारत में शामिल करवा लिया गया, लेकिन कुछ के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी



इनमें हिंदू राजा हनवंत सिंह भी थे. लेखक औंकार सिंह बाबरा के मुताबिक, हनवंत सिंह जोधपुर के राजा थे और लोगों के बीच में एक चतुर रणनीतिकार के तौर पर भी जाने जाते थे



वह चाहते थे कि जोधपुर को एक विशेष राज्य का दर्जा मिले, जिसके लिए उन्होंने काफी शर्तें भी रखी थीं



इस वजह से उन्होंने एक चाल चली और भारत सरकार से कह दिया कि उनकी शर्तों को नहीं माना गया तो वह पाकिस्तान में शामिल हो जाएंगे



ऐसा उन्होंने बस कहने के लिए कहा था क्योंकि महाराजा हनवंत सिंह और उनके पिता उम्मेद सिंह ने पहले ही तय कर लिया था कि वह भारत में ही शामिल होंगे



हनवंत सिंह को पाकिस्तान से भी ऑफर आया था और मोहम्मद अली जिन्ना खाली पेपर पर साइन करके देने के साथ उनकी सारी शर्तों को मान गए थे



इधर भारत से वीपी मेनन भी महाराजा की सारी शर्तों को मान गए, लेकिन खाली पेपर पर साइन करके देने की बात नहीं माने



इस मौके का हनवंत सिंह ने फायदा उठाया और वीपी मेनन को कह दिया कि पाकिस्तान से खाली पेपर पर साइन करके मिल रहा है. इस पर मेनन ने कहा कि आपको धोखा मिलेगा



इन सब के बाद हनवंत सिंह ने एक मुस्लिम देश में शामिल होने की बात पर गहराई से सोचा और अंत में भारत में शामिल हो गए