कारगिल की लड़ाई में शहीद हुए बहुत से सैनिकों को आप जानते होंगे लेकिन कई सैनिकों की कहानी अभी भी अनकही हैं
आज हम ऐसे ही एक सैनिक की बात करेंगे, जिनका नाम है केपटन नीकेजाको केंगुरुसे. ये नगालैंड के एक गांव नेरहेमा के रहने वाले थे, उनके घरवाले उन्हें निंबू साहब कह कर भी बुलाते थे
नीकेजाको केंगुरुसे या निंबू साहब के जीवन की कहानी के बारे में हाल ही में छपी एक किताब 'निंबू साहब-द बेरफूट नागा केरगिल हीरो' से पता चलता है
किताब के मुताबिक, निंबू साहब एक इंडियन आर्मी ऑफिसर थे. कारगिल की लड़ाई के दौरान उन्हें घातक प्लैटून (बटालियन के 20 फिट जवानों की टुकड़ी) का कंमाडर बनाया गया था
साल 1999 में कारगिल सैनिकों को एक मिशन दिया गया, जिसमें उन्हें द्रास सेक्टर में लोन हिल नाम की पीक पर कब्जा करना था
लोन पीक के रास्ते में ब्लैक रॉक चट्टान पड़ती है. यहां पाकिस्तानी आर्मी ने मशीन गन पोस्ट बनाई हुई थी. इसका तापमान -10 डिग्री और इसकी चढ़ाई लगभग 16 हजार फीट थी
जवानों को लीड करते हुए नींबू साहब आगे बढ़ते गए. नींबू साहब और सेना के लिए सीधी चट्टान पर बर्फ की फिसलन भी थी जिसकी वजह से चढ़ाई और मुश्किल होती जा रही थी. नींबू साहब ने जूते उतारे और आगे बढ़ने लगे
चढ़ाई के दौरान दुश्मन दल लगातार गोलियां बरसा रहा था. एक गोली आकर नींबू साहब के पेट में लग गई. सिपाहियों को उनकी चिंता होने लगी, लेकिन सेना का मनोबल न टूटे इसलिए उन्होंने कहा कि मैं पेट पर कस कर पट्टी बांध लूंगा कुछ नहीं होगा आगे बढ़ो
नींबू साहब ने हार नहीं मानी और सेना सहित हिल टॉप पर पहुंच कर फायरिंग शुरू कर दी. कुछ समय बाद सेना ने पोस्ट पर कब्जा कर लिया
दुश्मन दल से लड़ाई के दौरान नींबू साहब का पैर फिसल गया और वे लगभग 200 फीट की ऊंचाई से गिर गए. जिसकी वजह से वह महज 25 साल की उम्र में शहीद हो गए
जब सैनिकों ने पीछे मुड़कर देखा तो नींबू साहब खाई में गिरे हुए थे. सैनिकों की आंखे नम हो गई और वे जोर जोर से चिल्लाने लगे 'ये आपकी जीत है नींबू साहब, ये आपकी जीत है'. उनकी वीरता के लिए उन्हें महावीर चक्र से भी सम्मानित किया गया