सुदूर आर्कटिक में एक उजड़ा हुआ रिसर्च स्टेशन है, जहां कोनक्रीट की जमीन पर धातु के एक ढक्कन को 12 बोल्टों से बंद किया गया है



स्थानीय लोग इसे नर्क का दरवाजा कहते हैं. इसका असली नाम Kola Superdeep Borehole है



यह इंसानों का ही बनाया सबसे गहरा गड्ढा है. आइए जानते हैं कि लोग इसे नर्क का दरवाजा क्यों कहते हैं



कोल्ड वॉर के दौरान, अमेरिका और रूस में एक जंग चल रही थी कि कौन पहले धरती के अंदर जाकर पता लगाएगा कि वहां क्या है



धरती के अंदर खुदाई पहले अमेरिका ने शुरू की और American Miscellaneous Society के प्रोजेक्ट मोहोल की शुरुआत हुई



धरती की तीन लेयर हैं- सबसे बाहर क्रस्ट, फिर मेंटल और आखिर में कोर. प्रोजेक्ट मोहोल का मकसद क्रस्ट को पार कर मेंटल तक पहुंचना था ताकि पता चले कि वहां क्या है



वैज्ञानिकों ने 1972 में ग्वाडा लिप्यो मेक्सिको प्रशांत महासागर में खुदाई शुरू की और दो साल में 9,583 मीटर तक खोदा, लेकिन फिर प्रोजेक्ट को बंद कर दिया गया



इसके बाद सोवियत वैज्ञानिकों ने रूस और नोरवे बार्डर के पास Kola Superdeep Borehole की खुदाई शुरू की और 1989 तक 12 किलोमीटर की गहराई तक पहुंचे, जो धरती की कुल गहराई का सिर्फ 2 प्रतिशत था



मैंटल तक पहुंचने के लिए 28 किलोमीटर त​क और खोदना था, लेकिन खुदाई रो​कनी पड़ी. इसकी वजह ये थी कि इसे लेकर कई कहानियां फैल गईं



स्थानीय लोगों का कहना था कि सुरंग से आवाजें आती हैं और वहां से चमगादड़ जैसी आकृति को निकलते देखा इसलिए सुरंग को बंद करना पड़ा और इसे नर्क के दरवाजे के तौर पर जाना जाने लगा