मुगल शासक अकबर को इस्लाम के साथ-साथ अन्य धर्मों को जानने में भी काफी दिलचस्पी रहती थी



डॅा मोहनलाल गुप्ता ने अपनी किताब तीसरा मुगल जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर में लिखा है कि एक बार अकबर ने हिंदू ग्रंथ महाभारत को फारसी भाषा में अनुवाद करने का आदेश दिया था



अनुवाद का काम पूरा होने के बाद अकबर ने उस किताब को फारसी में रज्मनामा नाम दिया था



रज्मनामा का हिंदी में अर्थ होता है युद्ध की किताब



रज्मनामा को खरीदने के लिए कई अमीरों ने भी दिलचस्पी दिखाई थी इसलिए अकबर ने रज्मनामा की कई कॉपियां भी तैयार करवाईं



महाभारत को फारसी भाषा में अनुवाद करने का काम अकबर ने बदायूंनी और नकीब खान को सौंपा था



इस काम के लिए अकबर ने खुद कई रात जागकर नकीब खां को महाभारत समझाई थी



साथ ही अकबर ने महाभारत की वाख्या करने के लिए कई बड़े हिंदू विद्वानों को भी अपने दरबार में बुलाया



महाभारत के 18 पर्वों में से दो पर्वों का काम बदायूंनी और नकीब खान ने 3-4 महीने में किया



इसके बाद थानेसर के सुल्तान हाजी ने महाभारत के बाकी पर्वों के फारसी भाषा में अनुवाद का काम पूरा किया



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