सांसदों को लेकर देश में नियम है कि कोई चाहे एक दिन के लिए एमपी बने या फिर 80 साल की उम्र तक, वह जिंदगीभर के लिए 25 हजार रुपये पेंशन का हकदार होता है. साथ ही अगर बार-बार कोई सांसद चुना जाता है तो उसे अलग से भी कुछ राशि दी जाती है
पेंशन और भत्ता अधिनियम-1954 के तहत सांसदों को पेंशन मिलती है और अगर कोई फिर से सांसद चुना जाता है या जैसे-जैसे उनका कार्यकाल बढ़ता है तो सम्मान के तौर पर उन्हें सैलरी के साथ अलग से 1,500 रुपये दिए जाते हैं
अगर कोई विधायक एमपी बनता है तो सांसद की सैलरी के साथ उन्हें एमएलए की पेंशन भी दी जाती है
देश की 18वीं लोकसभा में 280 यानी करीब 52 फीसदी एमपी ऐसे हैं, जिन्होंने पहली बार सांसद के तौर पर शपथ ली है, आइए जानते हैं इन्हें सांसदी के साथ कौन-कौन सी सुविधाएं मिली हैं
11 मई, 2022 में हुए संशोधन के बाद सांसद की सैलरी 1 लाख रुपये तय की गई. साथ में उन्हें सरकारी आवास और नौकर चाकर के लिए भत्ता भी दिया जाता है
फ्री मेडिकल सेवा और 15 दिन के ऑफिशियल ट्रेवल का अलाउंस भी मिलता है. अगर सत्र में 15 से कम दिन वह अनुपस्थित रहते हैं तो यात्रा का पैसा भी मिलता है. सांसद और उनका परिवार रेल के फर्स्ट कोच में फ्री ट्रैवल कर सकते हैं
अंडमान-निकोबार या लक्षद्वीप के सांसदों को वहां के स्टीमर में मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलती है. जैसे बाकी राज्यों के सांसदों को ट्रेन के एसी कोच में यात्रा की सुविधा होती है, उसी तरह वहां स्टीमर की सुविधा मिलती है
ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, सांसद को हर महीने 20 हजार रुपये भत्ता भी मुहैया कराया जाता है. ऑफिशियल लैटर के लिए 2 हजार और लेखन सामग्री के लिए 4 हजार रुपये दिए जाते हैं
एक सांसद को अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए करीब 70 हजार रुपये की राशि दी जाती है और कार्यालय खर्च के लिए सांसद को 60 हजार रुपये और दैनिक भत्ता भी दिया जाता है
1 अप्रैल, 2023 से एक नया नियम लागू हुआ. इसके मुताबिक, हर पांच साल में सांसद की सैलरी में बढ़ोतरी की जाएगी