मुगल शासक अकबर के शासन में तीन तरह के सिक्के चलते थे, जो सिल्वर, गोल्ड और दूसरे मैटल के होते थे



आइए जानते हैं कि अकबर के राज में जो करंसी चलती थी उन्हें क्या कहते थे और उनकी कीमत क्या थी



अकबर ने शुरुआत के समय में अपने दादा और पिता की तरह शाहरुखी मुद्रा का इस्तेमाल किया लेकिन बाद में रुपया को तवज्जो देने लगे और शाहरुखी का उपयोग धीरे-धीरे कम हो गया



रुपया को शुरू करने का श्रेय शेर शाह सूरी को दिया जाता है. अकबर ने अशरफी नाम का एक सोने का सिक्का चलाया जिसे मोहर भी कहा जाता था.



इन सिक्कों के साथ चौकोर और बहुकोणीय सिक्के भी निकाले थे. सारे सिक्कों में सोने और चांदी का बहुत बारीकी से इस्तेमाल किया गया था



इन सिक्कों में दाम (Dam) सबसे कम कीमत वाले होते थे. 35 से 40 दाम एक चांदी के सिक्के के बराबर होते थे और 9 चांदी के सिक्के 1 अशरफी के बराबर हुआ करते थे



अकबर ने 10-12 रुपये की कीमत वाले गोल्ड कोइंस भी चलाए थे. जो उस जमाने के सबसे महंगे सिक्के हुआ करते थे



अबुल फजल के मुताबिक, अकबर ने कई ज्ञानी व्यक्तियों को इन सिक्कों को बनाने के काम पर लगाया था



इनमें दिल्ली के अली अहमद भी शामिल थे, जिन्होंने सिक्कों पर काफी बारीक काम किया. सिक्कों पर अरबी-फारसी भाषा में भी कुछ पंक्तियां लिखी गईं, जिससे ये सिक्के देखने में काफी कीमती लगते थे



अकबर के चलाए सिक्के लगभग अगले दो सौ सालों तक उपयोग में रहे थे. अकबर अपने सलाहकार अबुल फजल को 600 दाम फीस देते थे