मुगल काल में हर शासक के राज में अलग-अलग करंसी का इस्तेमाल किया गया. हुमायूं का हिंदुस्तान पर ज्यादा लंबे समय तक राज नहीं रहा. पहले साल 1530-540 तक और फिर 1555-1556 तक.
उनकेे शासन काल में एक सिक्का चला करता था. आइए जानते हैं कि उस सिक्के को क्या कहा जाता था
हुमायूं के शासन काल में शाहरुखी नाम का सिक्का चला करता था. उस दौरान इसी करंसी में लेन-देन होता था
यह सिक्का हुमायूं के पिता बाबर के समय से चलता आ रहा था और उसे तैमूर मुद्रा सिक्का भी कहते थे
ऐसा कहा जाता है कि इस सिक्के का नाम तैमूर लंग के बड़े बेटे शाहरुख मिर्जा के नाम पर रखा गया था
इस सिक्के के बीच में सुन्नी कलिमा या धर्मसिद्धांत जैसा कुछ बना हुआ था
सिक्के के चारों ओर शुरुआती के चार खलिफाओं के नाम लिखे हुए थे
सिक्के के पीछे की तरफ राजा का इस्लामी नाम और उपाधियां लिखी होती थीं
सिक्के में हिजरी युग की तारीख और जिस शहर में सिक्का बना था, उसका नाम भी लिखा जाता था
हुमायूं का शासन खत्म करने के बाद शेर शाह सूरी ने लंबे समय से चली आ रही शाहरुखी करंसी के इस्तेमाल को बंद कर दिया था