तराइन के पहले युद्ध के दौरान पृथ्वीराज चौहान की सेना के सामने मुहम्मद गोरी बेहोश होकर औंधे मुंह गिर पड़ा था



पॉल डेविस ने अपनी किताब '100 डिसिसिव बैटल' में भारत में हुए कुछ युद्धों का जिक्र किया है, जिनमें तराइन का युद्ध भी शामिल है



मुहम्मद गोरी भारत की सल्तनत पर काबू पाना चाहता था. पहले उसने सोलंकी चालूक्यों की रियासत के उत्तरी राजस्थान, गुजरात पर आक्रमण किया, जिसमें उसकी हार हुई



मुहम्मद गोरी ने फिर तीसरी बड़ी उत्तरी रियासत जिसमें अजमेर से हरियाणा, दिल्ली और आगे का क्षेत्र भी शामिल था पर आक्रमण किया. इन इलाकों में चौहानों का शासन था



मुहम्मद गोरी ने पहले खत भेजकर पृथ्वीराज चौहान को उसकी अधिनता और इस्लाम कुबूल करने के लिए कहा, लेकिन पृथ्वीराज चौहान ने इनकार कर दिया



इसके बाद मुहम्मद और पृथ्वीराज चौहान के बीच ताराइन का पहला युद्ध शुरु हुआ



साल 1191 में तराइन में मुहम्मद गोरी और पृथ्वीराज चौहान की सेना आमने-सामने युद्ध के लिए आ पहुंची



ऐतिहासिक तर्कों के अनुसार, युद्ध के दौरान मुहम्मद गोरी की सेना की गिनती पृथ्वीराज चौहान के मुकाबले कम थी



मुहम्मद ने पृथ्वीराज की सेना के प्रमुख गोविन्द राय पर पूरी ताकत से आक्रमण किया, लेकिन वह बच गए. इसके जवाब में गोविन्द राय ने गोरी पर अपना भाला फेंका जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गया



सिंथिया टेलबोट की किताब द लास्ट हिंदू एम्परर के मुताबिक, गोरी घायल होने के बाद बेहोश होकर जंग के मैदान में गिर गया. इसके बाद उसकी सेना ने भी हार मान ली और इस तरह पृथ्वीराज चौहान की जीत हुई