मुगल शासन हो या अंग्रेजी हुकूमत, लाहौर से लेकर दिल्ली तक उन्होंने राज किया, लेकिन क्या पाकिस्तान में भी बच्चे वही इतिहास पढ़ते हैं जो भारत में पढ़या जाता है



पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी के मुताबिक, वहां के स्कूलों में जलालुद्दीन अकबर को विलेन के तौर पर बताया जाता है, जबकि औरंगजेब को हीरो



साल 1965 के बाद जो किताबें लिखी गईं उनमें हिंदुस्तान की आजादी की लड़ाई को हिंदू-मुस्लिम की लड़ाई के तौर पर बताया गया



पाकिस्तानी किताब कहती हैं कि हम मुस्लिमों ने बंटवारे के समय भारत जा रहे लोगों की मदद की, लेकिन पाकिस्तान आने वालों पर भारत में अत्याचार हुए



वहां की किताबों में अलाउद्दीन खिलजी को पाकिस्तान का शासक बताया जाता है



महात्मा गांधी के बारे में पाकिस्तानी किताबें कहती हैं कि वह सिर्फ हिंदुओं के लिए काम करते थे और मुस्लिमों को उनका हक नहीं दिलाते थे



हड़प्पा, मोहनजोदड़ो और सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में भी अच्छे से नहीं बताया जाता है, जबकि इनका ज्यादातर हिस्सा पाकिस्तान में है



पाकिस्तान के स्कूलों में हिस्ट्री की किताबों में बौध धर्म और सम्राट अशोक के समय के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती है



इस्लामिक भाषा को छोड़कर बाकी दूसरी भाषा, सभ्यता और संस्कृति को नाकारात्मक तरीके से बच्चों को पढ़ाया जाता है



किताबों में भारत-पाकिस्तान के साझा इतिहास को अलग करके दिखाया गया और सिर्फ उन बातों को तवज्जो दी गई, जो पाकिस्तानियों की धार्मिक पहचान को प्रमुखता दें