हिंदू, मुस्लिम और फिर मुगल... संभल पर अलग-अलग सल्तनतों का पूरा इतिहास

Published by: एबीपी न्यूज़ डेस्क
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इस समय पूरे देश में संभल की जामा मस्जिद का विवाद काफी में चर्चा है.

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संभल जिले की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार संभल पर हिंदू, मुस्लिम से लेकर मुगल शासकों का राज रहा है.

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संभल शहर पर सबसे अधिक शासन हिंदू राजाओं का रहा है. फिर अलग-अलग मुस्लिम शासक आए और उनके बाद मुगल शासकों ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी यहां राज किया. सबसे कम समय तक शहर पर सिकंदर लोधी का शासन रहा है.

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वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार 5वीं से 14वीं सदी के आस-पास तक हिंदू राजाओं का शासन रहा. करीब 5वीं सदी के दौरान संभल पांचाल शासकों का घर था, जो बाद में सम्राट अशोक के साम्राज्य का हिस्सा बना था.

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12वीं सदी में यहां पृथ्वीराज चौहान और मेहमूद गजनी के भतीजे सैयद सालार मसूद में दो जंगें हुईं. पहली जंग में पृथ्वीराज चौहान जीते और कहा जाता है कि दूसरी जंग में सैयद सालार मसूद को जीत मिली.

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वेबसाइट ने बताया कि 14वीं सदी के दौरान दिल्ली के बादशाह फिरोजशाह तुगलक ने और उनसे भी पहले दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने भी संभल पर राज किया था.

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15वीं सदी के आसपास यहां मुगलों का शासन शुरू हुआ, लेकिन उससे पहले संभल पर चार सालों तक सिकंदर लोधी का शासन रहा.

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15वीं सदी में मुगलों ने संभल पर अपना राज शुरू किया. इस दौरान पहले मुगल बादशाह बाबर ने इस शहर पर शासन किया और एक बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया था.

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वेबसाइट के अनुसार कुछ समय बाद बाबर ने अपने बेटे हुमांयू को संभल का गवर्नर घोषित कर दिया.

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इसी तरह हुमांयू ने भी बाद में संभल के गवर्नर के पद की जिम्मेदारी अपने बेटे अकबर को सौंपी थी.

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वेबसाइट पर ऐसा कहा गया है कि अकबर के कार्यकाल में इस शहर की लोकप्रियता अधिक हो गई थी, लेकिन अकबर के शाहजहां के शासन में संभल की उतनी लोकप्रियता नहीं रह गई थी.

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