अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की ज्यादा पिछड़ी जातियों को कोटे में कोटा मिलने का रास्ता साफ हो गया है
सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और छह जजों की बेंच ने गुरुवार (1 अगस्त, 2024) को बहुमत से यह फैसला सुनाया है. आइए जानते हैं कोर्ट के आदेश की 10 बड़ी बातें
जस्टिस बेला त्रिवेदी ने सात जजों की बेंच के फैसलों से असहमति जताई है
कोर्ट ने आदेश दिया कि जिस जाति को रिजर्वेशन में अलग से हिस्सा दिया जा रहा है, उसके पिछड़ेपन का सबूत होना चाहिए
कोर्ट ने कहा कि किसी जाति की ज्यादा संख्या देखकर नहीं, बल्कि शिक्षा और नौकरी में कम उपस्थिति को देखकर ज्यादा कोटा देना चाहिए
अनुसूचित जाति में जो जातियां ज्यादा पिछड़ी हुई हैं, उन्हें कोटे का लाभ पहले मिलना चाहिए
इंदिरा साहनी केस में ओबीसी के सबक्लासिफिकेशन वाला फैसला अनुसूचित जाति के लिए भी लागू हो सकता है
किसी भी राज्य को आरक्षण का वर्गीकरण करने से पहले आंकड़े जुटाने होंगे
राज्य सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह अनुसूचित जाति और जनजाति को सब कैटेगरी में बांट सकते हैं
आदेश के मुताबिक, राज्यों को अनुसूचित जातियों में भी क्रीमी लेयर पहचानने की नीति बनानी होगी
कोर्ट ने कहा जिन लोगों को सरकारी नौकरी मिल गई और जो गांव में अभी भी काम करते हैं उन दोनों की स्थितियां अलग हैं