क्या होते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड?
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है
भारत सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना का एलान साल 2017 में किया था
इलेक्टोरल बॉ़न्ड राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक वित्तीय जरिया था
इस बॉन्ड को भारत का कोई भी नागरिक एसबीआई बैंक की चुनिंदा ब्रांच से खरीद सकता था
इलेक्टोरल बॉन्ड में कोई नागरिक अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को दान कर सकता था
इस बॉन्ड की अवधि 15 दिनों की होती थी, जिसमें भुगतानकर्ता का नाम गुमनाम रखा जाता था
इन बॉन्ड्स को 1 हजार से लेकर 1 करोड़ तक किसी भी कीमत में खरीदा जा सकता था
ये चुनावी बॉन्ड चार महीनों में 10 दिन के लिए खरीदने के लिए उपलब्ध होते थे
इन चार महीनों में जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर का नाम शामिल है
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