कुछ तवायफें इतनी खूबसूरत होती थीं कि बादशाह उनसे निकाह कर लेते थे. ऐसी ही एक तवायफ थीं बेगम हजरत महल जो अंग्रेजों से भी भिड़ गई थी
रोजी लिउलिन जोंस की किताब 'द ग्रेट अपराइजिंग इन इंडिया' में बताया गया कि बेगम हजरत महल की शादी नवाब वाजिद अली शाह से हुई थी, जिससे उनका रुतबा बढ़ गया
बेगम हजरत महल के पिता अफ्रीकी और मां भारतीय थीं. उन्हें बचपन में ही शाही हरम में काम करने के लिए बेच दिया गया था
हजरत महल ने मुगल हरम में रहकर ही नाच-गाना सीखा और वहीं उनकी खूबसूरती और नाच-गाने को देखकर नवाब ने उनसे शादी कर ली
साल 1845 में उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया, जिसके बाद उनका नाम बेगम हजरत महल पड़ा. 1950 में नवाब ने हजरत महल को तलाक दे दिया और अपने हरम से भी हटा दिया
1856 में अंग्रेजों ने अवध पर कब्जा कर लिया, इसके बाद नवाब वाजिद अली शाह को गिरफ्तार कर लिया गया था
साल 1857 में अंग्रेजों ने लखनऊ पर अपना हक जमा लिया. बेगम हजरत महल और उनके बेटे बिरजिस कद्र को केसरबाग महल में भेज दिया गया
साल 1858 में बेगम हजरत महल को लखनऊ से निकलने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन रानी ने हार नहीं मानी और 50 हजार सैनिकों के साथ अंग्रेजों से भिड़ गईं
अंग्रेजों की सेना इतनी ताकतवर थी कि रानी को आखिर में अवध छोड़कर सैनिकों सहित नेपाल में शरण लेनी पड़ी